UPPSC NEWS :: RO-ARO 2016 को लेकर भी घिरा आयोग , विज्ञापन में नहीं थी नेगेटिव मार्किंग लेकिन परीक्षा में कर दी लागू , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर
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पीसीएस 2018 के तहत राजकीय इंटर कॉलेजों की प्रधानाचार्य भर्ती में झटका खाने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की किरकिरी आरओ/एआरओ 2016 में भी हो सकती है। आयोग ने इस भर्ती में भी विज्ञापन की शर्त में न होने के बावजूद परिणाम में माइनस मार्किंग की व्यवस्था लागू कर दी थी। इस मुद्दे को लेकर अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है।
आरओ/एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा पहली बार 27 नवंबर 2016 को 21 जिलों में हुई थी। इस परीक्षा के लिए 385191 अभ्यर्थी पंजीकृत थे। परीक्षा के दौरान लखनऊ के एक केंद्र से व्हाट्सएप पर पेपर वायरल हो गया था और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इस मामले में हजरतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी। एजेंसी ने जांच पूरी होने के बाद 21 सितंबर 2018 को न्यायालय में प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट में पेपर आउट होने के कोई ठोस साक्ष्य नहीं होने की बात कही थी। जिसके बाद अमिताभ ठाकुर ने सीबीसीआईडी की अंतिम रिपोर्ट पर आपत्ति दाखिल कर दी। विशेष न्यायाधीश सीसीबीआईडी, लखनऊ ने एक जनवरी 2020 को जारी आदेश में सीबीसीआईडी की अंतिम रिपोर्ट निरस्त कर दी और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए। इस प्रकरण में देरी होता देख आयोग ने 14 जनवरी 2020 को प्रारंभिक परीक्षा निरस्त करते हुए दोबारा परीक्षा कराने का निर्णय लिया।
2019 से माइनस मार्किंग की व्यवस्था लागू हुई
आयोग की परीक्षाओं में 2019 से माइनस मार्किंग की व्यवस्था लागू हुई थी। आयोग ने आरओ/एआरओ 2016 की पुनर्परीक्षा 20 सितंबर 2020 को पुराने विज्ञापन के आधार पर कराई जिसमें पूर्व में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को ही शामिल किया गया। लेकिन इसमें भी माइनस मार्किंग की व्यवस्था लागू की गई जबकि विज्ञापन में इसका प्रावधान नहीं था।
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