Wednesday 14 July 2021

अगर फर्जी नहीं है तो आयु निर्धारण के लिए हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य- हाईकोर्ट , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर

 अगर फर्जी नहीं है तो आयु निर्धारण के लिए हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य- हाईकोर्ट , क्लिक करे और पढ़े पूरी खबर 




इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आयु निर्धारण के लिए यदि फर्जी न हो तो  हाई स्कूल प्रमाणपत्र ही मान्य है। हाईस्कूल प्रमाणपत्र पर अविश्वास कर मेडिकल जांच रिपोर्ट पर आयु निर्धारण करना ग़लत वह मनमानापूर्ण है। कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड कानपुर नगर व अधीनस्थ अदालत के हाईस्कूल प्रमाणपत्र की अनदेखी कर आपराधिक घटना के समय याची को बालिग ठहराने के आदेशों को रद्द कर दिया है।और प्रमाणपत्र के आधार पर उसे घटना के समय नाबालिग घोषित किया है। कोर्ट ने कहा है कि बोर्ड ने 2007की किशोर न्याय नियमावली की प्रक्रिया का पालन नहीं किया और मनमानी की।



यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने मेहराज शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची  व सह अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व अपहरण के  आरोपी में चार्जशीट दाखिल है। घटना 23दिसंबर 13की है। याची ने कोर्ट में अर्जी दी कि उसे नाबालिग घोषित किया जाए। अंतत: मामला हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कहा एनसीजेएम को आयु निर्धारण करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार किशोर न्याय बोर्ड को है। किशोर न्याय बोर्ड ने हाईस्कूल प्रमाणपत्र को अविश्वसनीय माना और मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर याची की जन्म तिथि 21अप्रैल96के बजाय 21अप्रैल97माना।लेकिन हाईस्कूल प्रमाणपत्र को किसी प्राधिकारी ने फर्जी नहीं करार दिया है।



इसपर कोर्ट ने कहा कि नियमावली 2007में आयु निर्धारण की प्रक्रिया दी गयी है। जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो ही मेडिकल जांच रिपोर्ट के आधार पर आयु निर्धारण किया जायेगा। हाईकोर्ट स्कूल प्रमाणपत्र,या, स्कूल प्रमाणपत्र,या स्थानीय निकाय का जन्म प्रमाणपत्र न होने पर ही मेडिकल जांच रिपोर्ट मान्य है।प्रथम साक्ष्य हाईस्कूल प्रमाणपत्र ही है।


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